चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ओम नाम, तू रट ले तुही तुही


चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ओम नाम,
तू रट ले तुही तुही,

चरखा तेरा रंग रंगीला, पीढ़ा लाल ग़ुलाल,
कातण वाली श्याम सुंदर, वा तुन तुन घाले तार,
चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ……..

शरीर बना तेरा रंग रंगीला, अन्तः करण है लाल,
कातण आली या जीभ सुंदरी, चले ओली सोली चाल,
चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ………..

सास कंवारी, बहु पेट में, नणद पंजीरी खाए,
देखण आली के छोरा होग्या, बाँझ खिलावण जाए,
चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ……..

तृष्णा सासू आस पेट में, निंदा नणद कहाय,
समता दृष्टि ज्ञान का छोरा, बुद्धि बाँझ खिलाय,
चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ……..

ऊँचे टीले हलिया चाले, बैल गऊ के पेट,
हाली झूले पालने, और रोटी जा लई खेत
चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ……..

दसमा द्वारा ऊँचा टीला, इंद्री में अहंकार,
सुष्मन नाड़ी योगी झूले, कुण्डलिनी हुई तैयार,
चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ……..

बेटी बोली अपणे पिता ते, अणजाया वर लाय,
अणजाया वर नहीं मिला ते, तेरा मेरा ब्याह,
चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ……..

सुरति कहण लगी, मन से तू अणजाया ल्याय,
अणजाया वो सबका ईश्वर, सुरति मन के माय,
चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ……..

लखमी चंद ने गुरु मानसिंह, संत मिला अलबेला,
जो इस शब्द का भेद खोल दे, वो सही गुरु का चेला,
चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ……..

नगर भिवाणी से पूर्व में, उमरावत है गाँव,
संशय हो तो आय खोजियो गुलाबचंद मेरा नाम।
चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ……..

Comments