गंगा जी तेरे खेत मै माई गड़े रै हिंडोले चार
कन्हैया झूल ते संग रुक्मण झूल रही ......
ब्रह्मा के कमंडल में जब
विष्णु जी का लागा पैर
पावन पवित्र, अमृत बनके,
पर्वत पे गई थी ठहर
भागीरथ ने तप कर राख्या
खोद कै, ले आया नहर
60000 सगर के बेटे
जो मुक्ति का पागये धाम
अयोध्या के धोरै आके
गंगाजी धराया नाम
ब्रह्मा विष्णु शिवजी तेरी
पूजा करें सुबहो शाम
सब कुछ ते रे हे......त मै तेरी
हो रही जय जय कार
कन्हैया............
अष्ट वसु पैदा करे
ऋषियों का तारा था शाप
संतनु से ब्याही गई
वशुओ का बनाया बाप
शिल गंगे छोड कै ने
स्वर्ग में गई थी आप
तीन चरण स्वर्ग में रहके
एक चरण धरा पे आयी
900 मील पृथ्वी नापी
अमृत धारा बनके छाई
अथहर यजूर ऋगू तीनो
वेदों नै तेरी महिमा गाई
शिवजी चले थे जन हे.....त मैं कैसी
बरसी थी मुसल....धार
कन्हैया ...............
गौउ-मुखी बद्रीनाथ
लक्ष्मण झुला छुटी लहर
हरिद्वार ऋषिकास कनखल
देखी जा अमृत की गहर
गढ़ मुक्तेश्वर इलाबाद तेरा
गया जी पवि...त्र शहर
समुन्द्र में जाके मिल्गी
सागर का घटाया मान
सूर्यदेव अमृत पीके
तेरे जल का करे बखान
कलकत्ते सै सीधी होली
तन्नै हावड़ा दिखाई शान ...
एक दिना कुरुक्षे....त्र मैं जहाँ
जीते थे कृष्ण मुरार....
कन्हैया...........
मवासी नाथ तेरे जल में
जान के मिले थे आप
मान सिंह भी तेरे जल मैं
पीछाण के मिले थे आप
लखमी चंद भी तेरे जल मै
जान के मिले थे आप
वो ही मुक्ति पा गया गंगे
तेरे जल में नहाने वाला
पांची मैं वास करे एक
मामुली सा गाने आला
मांगे राम एक दिन गंगे
तेरे बीच आ..ने वाला
आन मिलेगा तेरे रे.....त मै
उसे टोहवे गा संसार
कन्हैया झूल ते संग रुक्मण झूल रही ....
संग्रह कर्ता - ललित भारद्वाज सिहानी
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