भजन
तारेगा मेरा चीर बीर अब कैसे होये
कैसे होये अब कैसे होये
दुरशासन मेरा हाथ पकड़ के, खेच सभा में लाया
रजो-सु लाग्या गात सावरे थर थर कापे काया
मेरे बहे नैनो से नीर बीर अब कैसे होये....
बाबा भीषम गुरु द्रोण को देख घनी शर्मायी...
बहुत कही पर एक ना माने बन गए पकड़ कसाई
अरे मेरी लूट लई जहाँगीर बीर अब कैसे होये....
पति मेरे अर्जुन ने भैया नीची नाड झुकाई
डर के मारे एक ना बोल्या मै उनकी तरफ लखाई
अरे फ़ैल हुए सब तीर बीर अब कैसे होये....
प्रेम सिंह कहे आज सभा में कोई नहीं बचावा
नगन करन को आज रे भैया बोल रहे है धावा
तेरी रोवे है हलसीर बीर अब कैसे होये...
Comments
Post a Comment