भजन
मेरे हिरदै गयी समाय, हो समाय
भगतो की भाव भरी भगती
मै रीझत हूँ तुलसी दल पै, बिक जाऊ एक चुल्लू जल पै
बिन सुमरन सुता ना सुहाए, भगतो की भाव भरी भगती
मेरे हिरदै……….
विदुरानी के छिलके खाये, न भोग दुर्योधन के भाये
सखियन की वो छाछ सुहाए, भगतो की भाव भरी भगती
मेरे हिरदै……….
ये प्रेम का पंथ निराला है, कोई जाने जानन हारा है
बिन सुमिरन गोते खाये, भगतो की भाव भरी भगती
मेरे हिरदै……….
तुम प्रेम से सुमिरन कर लेना, भव सागर पार उतर लेना
गुरु मार्ग दियो बताय, भगतो की भाव भरी भगती
मेरे हिरदै……….
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