मै तो भजन करूँगा मोहनराम के गुरु दर्श करादे खोली धाम के

 

भजन


मै तो भजन करूँगा मोहनराम के

गुरु दर्श करादे खोली धाम के

नहीं दिल से बिसारु, तोपे तन मन वारु

तेरी आरती उतारू दिलो जान से, गुरु दर्श...

 

काली खोली पर्वत वाली उसे देखना चाहू सू

फूल बतासे भेट चढ़ा के माथ टेकना चाहू सू

बाबा जी के धूने पै मै गात सेकना चाहू सू

बिना भजन किस काम के, गुरु दर्श....

 

कोई कहे सै खोली अंदर किरशन जी का वास है

कोई कहे ये पर्वत ऊँचा शंकर का कैलाश है

कोई कहे या बाबा जी का सारे मै प्रकाश है

सही जड़ चेतन नाम के, गुरु दर्श....

 

 

पर्वत ऊपर चरण बताये एक और धर्मशाला है

सात कोस की दे परिकर्मा एक चौगरदे नाला है

यात्रियो के आगे पीछे रहता घोड़े वाला है

रहे कर में चिमटा थाम के, गुरु दर्श....

 

गांव मिलकपुर मंदिर सुन्दर जाने वाले कहते है

वाकी गद्दी भारी पूरण सभी आदमी कहते है

मंदिर पाछे कुवा खारी नहाने वाले कहते है

पुजारी नेतराम उस गाम के, गुरु दर्श......

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