अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना
तुम्हारी लाड़ली सीता हुई है बेहाल कह देना
में जिस दिन से यहाँ आई नहीं श्रृंगार है कीन्हा
हमारे केश के जूड़े खुले है बाल कह देना
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना
तुम्हारी लाड़ली सीता हुई है बेहाल कह देना
मुझे रावण सदा धमकी यहाँ तलवार की देता
उसी तलवार के टुकड़े करें तत्काल कह देना
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना
तुम्हारी लाड़ली सीता हुई है बेहाल कह देना
अगर एक माह के अन्दर, मेरे राम ना आये
न पाओगे मुझे जिन्दा प्रभुराम कह देना
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना
तुम्हारी लाड़ली सीता हुई है बेहाल कह देना
संग्रहकर्ता - ललित भारद्वाज सिहानी
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