काली सुल्फी हाथ मै चिमटा ला रा सै
घोड़े पै सवार भभूती ला रहया सै
तू खोली मै ते आया
तन्नै बड़ का पेड़ लगाया
तेरे खेल निराले देखे
तेरी न्यारी देखी माया
कर रहया मैहर वो
बाबा कष्ट मिटा रया सै
घोड़े पै असवार…………….
अमीर गरीब ना माने
वो माने सब ने बराबर
उसकी बिगड़ी बने सै
जो जावें सच्ची आस कर
खोली वाले का प्यार यो
सबसे देखा न्यारा सै
घोड़े पे असवार………………..
जो सच्ची आस लगावै
उसके होते सारे सिद्ध काम सै
देवो में देव निराला
मेरा बाबा मोहन राम है
जिसका कोई नहीं उसने
अपना बना रहया सै
घोड़े पे असवार………………….
प्रीत लगावै जो सच्ची
यो कर देवै है माला माल
इसकी शरण में आके
कट जावे सारे जंजाल
मोहन राम का गूंज रह्या
जयकारा सै
घोड़े पे असवार…………………….
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