कहाँ पै तू सोयी मैया दुर्गे भवानी
भगतो की होगी माँ आबरू बचानी
कला है सवाई धूम मची तीनो लोक मै
पापों का भार बढ़ा देव बैठे शोक मै
धोके मै ज़माना गिराया….. ऋषि मुनि ज्ञानी
भगतो की होगी माँ आबरू बचानी
क्रोध के मै भरके हो गई शेर पै सवार माँ
दानवों के बीच बजी तेरी तलवार माँ
हार मैं ना पला तेरा…..असुर पानी पानी
भगतो की होगी माँ आबरू बचानी
एक दिन मुशीबत मैया मझा ने उठाई थी
नगण था सरीर घणी दर्द ने सतायी थी
आयी थी तू दायी बनके…. विपदा मिटानी
भगतो की होगी माँ आबरू बचानी
जयकरण सुमरके तुमको कविता बना ले
तिरेंगे वही जो अपने गुरु ने मना ले
ऋषि प्रेमराज गाले … सत की कहानी
भगतो की होगी माँ आबरू बचानी
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