कोली भर चंद्रावल रोई मेरे सुन गोपीचंद बीर रै

 कोली भर चंद्रावल रोई मेरे सुन गोपीचंद बीर रै

क्यों राज छोड़ कै, मेरे बीरा बना रै फ़कीर

 

के भाभी नै बोली मारी हुआ जोगी बुरा रै मानके

न्यू ना सोची मेरे भाई म्हारै बट्टा लगै रै शान कै

हो... जुलम करे तन्नै आप जानके म्हारी फोड़ चला तक़दीर रै

क्यों राज छोड़ कै, मेरे बीरा बना रै फ़कीर

 

किस पै छोड़ी धन और दौलत किस पै छोड़ी राजधानी

किस पै छोड़ी माँ दुखियारी किस पै वा सोलह रानी

हो.... सब तरहिया बन रहया अज्ञानी, म्हारी कोण बंधावे धीर रै

क्यों राज छोड़ कै, मेरे बीरा बना रै फ़कीर

 

 

यानि उमर मै बाप छोड़ ग्या, पीहर मै तू ही था हिमाती

मतलब की यारी असनाई, मतलब के गोती नाती

हो.... तेरे बिन मेरा कोण है भाती, सर कोण उढ़ावे चीर रै

क्यों राज छोड़ कै, मेरे बीरा बना रै फ़कीर

 

राम कला कह गोपीचंद को चढ़ा रंग भगवा बाने का

लिखीराम कह बालक पन सै घणा सोक लगा गाने का

हो... रोज रोज थारे ना आने का कर लेण दे अमर शरीर रै

क्यों राज छोड़ कै, मेरे बीरा बना रै फ़कीर

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