भाई रे दीना नाथ दयाल, चाल पड़े अर्जुन के संग मै

 

भाई रे दीना नाथ दयाल, चाल पड़े अर्जुन के संग मै

अर्जुन के संग मै चाल पड़े अर्जुन के संग मै, भाई रे..........

 

तुझको अपनी भगती का हुआ घणा अभिमान

उसके पिता की धनन-जय तुझे दिखलाऊंगा शान

हराया तुझे जिसने जंग मै, भाई रे...............

 

वन मै जाके श्री कृष्ण जी ने तो लिया शेर बनाय

मृगछाला कंधे धरी तो भाई मस्तक तिलक लगाय

भभूति रमा लयी अंग मै, भाई रे.......

 

अल्फी झोली पहन के तो केश करे जटा जूट

सुल्फे मै गांजा भरा तो भाई मारे भरके घूट

मस्त हुए सुल्फा और भंग मै. भाई रे........

 

मोरधज के द्वारे पै तो दीन्हि अलख जगाय

रामपाल कह द्वारपाल नै कही राव सै जाय

खड़े दो साधुन के ढंग मै, भाई रे........

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