हे गोपीचंद बीर मेरे तन्नै ये क्या हाल बनाया
हेरी... भीख घाल दे चंद्रावल मै जोगी बनके आया
हो... मूड मुड़ाया आज तन्नै जिस सिर पे ताज धरे था
बीती बात नै, भूल जा बहना, तेरा भैया राज करे था
बना रै भिखारी, महाराजा, तेरी जगत लिहाज करे था
इस भारत वंश का हर बच्चा दिके मेरे पै नाज करे था
भसम रमा, घर घर हांडे तेरी, सोने जैसी काया
हेरी... भीख घाल दे चंद्रावल मै जोगी बनके आया
हो... राज पथ राजधानी छोड़ी, के विपदा पड़ी भारी
परमेश्वर का भजन करू मै, बन योगी तपधारी
किस के ऊपर सबर करै मरे रो रो कै महतारी
म्हारी, माता नै आदेश करा मेरे, बेटा बनो रै पुजारी
कैसे न्यारा कर दिया जाने पेट फाड़ कै जाया
हेरी... भीख घायल दे चंद्रावल मै जोगी बनके आया
हो... किस तरिया दिल नै डाँटेगी घर मै सोलह रानी
कर्मो के अनु सार भोगते दिके दुःख सुख सभी ये प्राणी
झाल बदन की डट ती कोन्या, चढ़ ती हुई रै जवानी
संयम और साधना सै सब मिट जावे परेशानी
दिल पै भारी चोट खोट बिन क्यों इनको तरसाया
हेरी... भीख घायल दे चंद्रावल मै जोगी बनके आया
बिन भईया पीहर मै कोण मेरा आदर मान करेगा
धीरज धर ले बहन लाड़ली हर तेरा ध्यान करेगा
बारह कन्या, तेरे बिन कोण, कन्या दान करेगा
सब का मालिक रखवा ला, रक्षा भगवान् करेगा
है अद्भुत हरे राम बैसले उस प्रभु की माया
हेरी... भीख घायल दे चंद्रावल मै जोगी बनके आया
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