मूँड़ पकड़ गया बैठ सुदामा भीतर बड़ गया कोठे मै
जितने यारे... प्यारे सारे, साथ छोड़ गे टोटे मैं
चली हवा मै जो, मुझे जानते जो, ज्यादा चाहया करते
पास बैठ कै, हॅसते, सुख दुःख, की बतलाया करते
धोरे बैठ एक थाली मै जो, खाना खाया करते
दर्शन दुर्लभ, होगे यार जो रोजाना आया करते
बिना वजह वो... लिक्डन लागे आज प्रेमिया है टोटे मै
मूँड़ पकड़ गया.......
कंगाली मै साथ देनिया, रहया एक भी यार नहीं
आँख फेर कै बात करें दिके, पहले जैसा प्यार नहीं
देनी पड़जा मदद कदे कोई, बोलै रिश्तेदार नहीं
खूब मांग कै देख लिया मैंने एक धेला मिलै उधार नहीं
घर कुनबा भी... नहीं हिमाती मेरे या दुःख खोटे मै
मूँड़ पकड़ गया
अनदेखा मुझे करन लाग रे, कोई नाम ना मेरा लेता है
न्यू कहते ये लिए पाछै, वापस ना फिर देता है
ब्याह शादी का लगन महूर्त, ना कोई पूछे छेत्ता है
मूर्ख ब्राह्मण, फटा पत्रा ये तो बना फिरे परदेशा है
यो के ज्योतिष.... देखेगा खुद हांडे फटे लंगोटे मै
मूँड़ पकड़ गया
दो रोटी का, चून मिले ना, कतई बिगड़ लिया ढंगा है
नाम सुदामा बिगड़ लिया, दुनिया, कहती भिखमंगा है
तीन नाम इस टोटे के, लुच्चा बेईमान लफंगा है
बिगड़ी मै हरे राम बैसले दिखे भला मनुष्य बने नंगा है
टोटा खोटा..... करवा दे घणा, फर्क बड़े और छोटे मै
मूँड़ पकड़ गया
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