मैं जानू मेरा राम जानता मत ना करो मखोल मेरा
एक फूल बेचने वाली नै दिया नरम कालजा छोल मेरा
मखमल की चोली के ऊपर रेशम की साड़ी थी
भूरा भूरा का गात हूर का आधी भुजा उघाडी थी
खटके वाली छतरी के म्हा छोटी-छोटी ताली थी
नाक सुआ सा मुंह बटवा सा कैसी फुलवाड़ी थी
आंख मार कै न्यू बोली गुलदस्ता ले लो मोल मेरा
एक फूल बेचने......
टैरी बैल पहन री थी और जुल्फ लगी दो झोले की
गूठी छल्ला घड़ी वेस्टर्न अदा दिखा रही चोले की
गर्दन ऊपर केश पड़े जण पार्वती हो भोले की
पतली पतली फूल झड़ी वा गोरी रुक्के रोले की
रूप देख के पागल हो गया बंद हो गया था बोल मेरा
एक फूल बेचने वाली ने......
रूपवती था नाम हूर का ठोर ठिकाना भूल गया
गली मोहल्ला कोठी नंबर पता पूछना भूल गया
याद भतेरी आवै सै मै दुख बतलाना भूल गया
उस गोरी का प्रेम सतावै पीना खाना भूल गया
उस गोरी की आस मारगी हो गया बिस्तर गोल मेरा
एक फूल बेचने वाली ने......
ज्ञान ध्यान से सुनियो भाइयों चर्चा जगत तमाम करै
फूल बेचने वाली सारा घर का सुथरा काम करै
पेट की खातिर फिरै शहर मै तड़के दोपहर शाम करै
देखी हो तो मनै बता दो थारा भला भगवान करै
उस मानस के लिए तड़पता ये चमड़े का खोल मेरा
एक फूल बेचने वाली ने........
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