मारगी रे मारगी उस हीरे की अदा
राँझा पीर छोड़ा होगी काने पै फ़िदा
आप सोवे बंगले मै मन्नै ढारे मै रहना
सारी रात डाश काठे पड़ रहया दुःख सहना
जा कै हीरे सै कहना राँझा हो लिया विदा
राँझा पीर छोड़ा होगी......
रावी और चेनाब सिंध सतलज के खोले मै
भैंस चराई रांड की मै लूट गया दिन धोले मै
कल बैठे गी डोले मै वो ओढ़ कै रिदा
राँझा पीर छोड़ा होगी.....
हीरे दगा बाज बुली कह दिए जाकै
आखिरी मुलाकात मेरे तै वा कर लेगी आकै
रांझे सै जुदा होकै के जावेगी सदा
राँझा पीर छोड़ा होगी.....
हीरे दगा बाज मेरा काट गी गला
पीरू ऐसे मानस का कदे होता ना भला
मेरा उसका फैसला अब करैगा खुदा
राँझा पीर छोड़ा होगी.....
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