जी चाहवै सो मांग द्रोपती मेरे से
हाथ जोड़कै माफी मांगू तेरे से
जी चाहवै सो मांग द्रोपती मेरे से
1 दिन कैरो नै जाल, जुए में फैलाया था
उनका मान घटाया और तेरा चीर बढ़ाया था
1 दिन वन में आकै दुर्वासा जिमाया था
हो.. मैं खड़ा टैम पै पाया माला फेरे सै
हाथ जोडकै माफी मांगू तेरे से
1 दिन द्रोपती तू कीचक नै सताई थी
मढ़ीया के दरमियान जब तू रो रो के चिल्लाई थी
गुप्त रूप गण का करके तेरी लाज बचाई थी
हो.. तेरी मढ़ी मैं बंद छुडाई घेरे सै
हाथ जोडकै माफी मांगू तेरे ते
जहां जहां याद किया हाजिर खड़ा पाया सू
चिट्ठी गेर बुलाया तन्नै सिर के तान आया सू
भात का सामान जैसा मंगवाया मैं लाया सू
हो ... मैं बहुत घना शरमाया उलाहना गेरे सै
हाथ जोडकै माफी मांगू तेरे से....
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