कुवे पै लुगाईया धोरे काम के फ़क़ीर का
फिरे सै बहकाया हो मोढ़े चौकस किसे बीर का
बीर का बहकाया मोढ़े
घर कुन्बे नै त्याग जा
भूख प्यास सारी बाबा
सो सो कोशा भाग जा -2
बुझे तै भी बूझे कोन्या
काया मै बल लाग जा
पड़ा रह जाल के मै
जी नै रासा लाग जा -2
लाग जा लपेटा हो जिसके
इश्क की जंजीर का
फिरे सै बहकाया हो मोढ़े
तंग हाल देख तेरा
नजरो से पहचान लिया
भगमा भेष करके पर्दा
पाप का क्यों तान लिया-२
चाहता नहीं जीवणा क्यूँ
मन मै मरना ठान लिया
पानी का तो बहाना मोढे
औडा तन्नै आन लिया-२
होये जान लिया हमने हो बाबा
ना तिसाया तू नीर का
फिरे सै बहकाया....
दिखे सै या तेरे नां की
दुनिया उजड़ गी
मिल कै लुगाई कोई
तेरे तै बिछड़ गी -2
इश्क़ की तै नागन काली
बिल के मै बड़ गी
कर लिये विचार बाबा
म्हारी नजरा मै चढ़गी-२
बात क़े बिगड़गी हो बनके
यो खेल सै तक़दीर का
फिरे सै बहकाया......
काम सै इंसाफ़ी बाबा
उम्र सै कमावण की
बार बार जिन्द गानी
बावल कै ना आवन की-२
आँख सै कटीली तेरी
मार कै गिरावण की
देखे बिना सरता कोण्या
टाल कर लखावन की-२
भई गावंण की खटक मै लख्मी
तेरा सोड़ा हुआ शरीर का
फिरे सै बहकाया.....
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