मार हाथ मैं हाथ वचन दे फिर मांगूंगी भात, भाई मैं सदके जाऊं

मार हाथ मैं हाथ वचन दे फिर मांगूंगी भात, भाई मैं सदके जाऊं 

जो हो दिल की चाहत मांग ले पूरी कर दूं बात, बहन मैं शीश झुकाऊं 


कुरुक्षेत्र मैं जंग छिडै, जांच पटे राजपूतों की 

18 क्षोणी गिनती हो, करम कला कलबूतो की 

नाड कटे राजपूतों की और, खपै सभी के गात 

खून पीना चाहूं 

जो हो दिल की चाहत..... 


रण के झंडे लगे रहै, वीरो के दिल ठंडे हो 

एक वचन तू भी दे दे, जहां टटीरी के अंडे हो

वही पै पांचो पंडे हो और छटा कृष्ण भी साथ 

लहू सबका प्याऊ 

जो हो दिल की चाहत.......


खाली खप्पर रहे मेरा यूं, अपने दिल में जचा लिए 

ये छोटे-मोटे कीड़े तै जन, कितने खा कै पचा लिए 

तन्नै पांचो पंडे बचा लिए करी, धोके की करामात 

भूक मैं दुख पाऊ 

जो हो दिल की चाहत....... 


भूखी रह चाहे प्यासी रह मैं, छह की जान बचाऊंगा 

रघुनाथ कन्हैया, न्यू बोले महा, भारत रास राचाऊंगा 

गुरु मान सिंह के, गुण गाऊंगा, गॉड ब्राह्मण जात 

देवता कर ध्याऊँ 

जो हो दिल की चाहत.......

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