आती कोन्या मौत मेरी मैं क्स तन मरणा चाहूं सू

आती कोन्या मौत मेरी मैं क्स तन मरणा चाहूं सू
कुछ कर लूंगा रोजगार तने मैं बेटा धरना चाहूं सू

जिस नगरी में संत नहीं श्मशान बराबर हुआ करें
संसार सराह में मनुष्य भी मेहमान बराबर हुआ करें 
चतुर आदमी गर्दिश में अनजान बराबर हुया करें
जो बिगड़ी में मदद करें भगवान बराबर हो या करें
सो सो कोस ठिकाना ना अब तेरी शरणा चाहूं सु
कुछ कर लूंगा रुजगार.....

माल मिनट मै लाखों के कदे हो थे इधर उधर मेरे
एक पैसा सो लाख जचे है यहां तक कट गए पर मेरे
सब जाने हैं आज सेठ बिके टोटे मै घर-दर मेरे
तेरे गिरवी धरने लाया हूँ एक यु था जेवर जर मेरै
माता मर जा पेट फाड़ कै खबर उसे ना चाहु सू
कुछ कर लूंगा रोजगार तंनै.....

रुक्का रक्का ना हो सेठ दयूं ब्याज मूल चुप चाप तेरा
बेटे ढब नै देख कै रोया पड़ गया भाग खिलाफ मेरा
मनै के बेरा था बनके बाप सिर काटूंगा मै आप तेरा
मेरा फूल सा बालक क्या जाने यहां गिरवी धर रहया बाप तेरा
इन अश्कों सै दस बीस समंदर रो रो भरना चाहु सू
कुछ कर लूंगा रोजगार....

ताराचंद कदि ताराचंद था माना हुआ समाज में मै
दई छोड़ नैम की नाव सेठ गया बैठ जुलम के जहाज मे मै
कह लड्डन सिंह राजबल अब तो डूबा फिरूं लिहाज़ में मै
यहाँ डूबा और वहा डूबा अपने डूबा अंदाज मे मै
शुभ कर्मों की किश्ती में चढ़ पार उतरना चाहु सू
कुछ कर लूंगा रुजगार........

Comments