गऊ चराता खोली के म्ह देख्या एक ग्वाला भूरी लटा बखेरी बाबा काली कमली वाला

 गऊ चराता खोली के म्ह देख्या एक ग्वाला
भूरी लटा बखेरी बाबा काली कमली वाला
 
रंग निराला ढंग निराला, लम्बी लटा बखेर लयी
ऊँची पहाड़ी संग ग्वाला, मिलकै गैया घेर लयी
चौड़ा माथा कद का छोटा, चाँद शकल पै चाला
भूरी लटा बखेरी बाबा...........
 
भूडन मै एक बना चोतरा, गहरी बड़ की छाया
नीला घोडा संग मोहन के, गुफा मै वास बनाया
वस्त्र लाल धार लिए बाबा, रुद्राक्षों की माला
भूरी लटा बखेरी बाबा.............
 
पर्वत ऊपर ताल निराला, अमृत जल भरवाया
पथ्हर मै माया फेरी, घोड़े का खुर छपवाया
अंग भभूति रमी रहे चाहे गर्मी हो चाहे पाला
भूरी लटा बखेरी बाबा...........
 
अलवर की पहाड़ी का मंदिर, शोभामान करे कितना
गांव लुहारली गढ़ गाने का, भगती रंग भरै कितना
गौतम भाटी के जानै बड़ा, सीधा भोला भाला
भूरी लटा बखेरी बाबा..........

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