आधी रात सिखर तैं ढलगी हुया पहर का तड़का |

 आधी रात सिखर तैं ढलगी हुया पहर का तड़का |

बिना जीव की कामनी कै हुया अचानक लड़का |


जब लड़के का जन्म हुया ये तीन लोक थर्राए |

ब्रह्मा विष्णु शिवजी तीनू दर्शन करने आये |

सप्त ऋषि भी आसन ठा कै हवन करण नै आये |

साध सती और मन मोहनी नै आके मंगल गाये |


जब नाम सूना था उस लड़के का हुया काल मुनि कै धड़का |

बिना जीव की कामनी कै हुया अचानक लड़का |


सात समन्दर उस लड़के नै दो टैम नहवाया करते |

अगन देवता बण्या रसोई, भोग लगाया करते |

इंद्र देवता लोटा ले कै चल्लू कराया करते |

पवन देवता पवन चला लड़के ने सूवाया करते |


जब लड़के नै भूख लगी वो पेड़ निगल गया बड़ का |

बिना जीव की कामनी कै हुया अचानक लड़का |


कामदेव पहरे पै रहता चारों युग के साथी |

अस्ट वसु और ग्यारा रूद्र ये लड़के के नाती |

बावन कल्वे छप्पन भैरो गावें गीत परभाती |

उस के दरवाजे के ऊपर बेमाता साज बजाती |


गाना गावे साज बजावे करै प्रेम का छिड़का |

बिना जीव की कामनी कै हुया अचानक लड़का |


सब लड़कों मै उस लड़के का आदर मान निराला |

गंगा यमुना अडसठ तीरथ रटे प्रेम की माला |

चाँद सूरज और तारे तक भी दे रहे थे उज्याला |

वेद धरम की बात सुणावै लखमीचंद जांटी आळा |


उस नै कवी मै मानूं जो भेद खोल दे जड़ का |

बिना जीव की कामनी कै हुया अचानक लड़का |

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