भाई रे राज दियो बिसराय भूप नै लई वन की राही

 भाई रे राज दियो बिसराय

भूप नै लई वन की राही

 

शहर सै करके चले किनारा

कहीं जंगल मै करेंगे गुजारा

हेरे सोया पड़कै भाग हमारा

भूप नै कर लई फिर त्यारी

भाई रे राज दियो बिसराय

भूप नै लई वन की राही

 

शहर सै चाले चारो प्राणी

अरे अपनी तो छोड़ चले रै रजधानी

संग मै बालक राजा रानी

उदासी चेहरे पै छाई

भाई रे राज दियो बिसराय

भूप नै लई वन की राही

 

सरवीर नीर उमर के बाले

पड़गे पामो के मह छाले

इस जीने सै राम उठाले

नर की सुण सच्चे साई

भाई रे राज दियो बिसराय

भूप नै लई वन की राही

 

भई रानी अम्ब्ली नै लुभावै

अरे बच्चों की धीर बँधावे

ज्ञान सिंह राग विपत के गावै

सुरेंद्र करता कविताई

भाई रे राज दियो बिसराय

भूप नै लई वन की राही

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