लगा मंदिर प तेरा मेला, तूने परिचय दिया निराले

 लगा मंदिर प तेरा मेला, तूने परिचय दिया निराले
हुई जय जयकार जगत में बाबा तेरी खोली वाले
 
लीला तेरी अजब देख के, विश्वास सभी को आया
जो नहीं किसी के बस की तूने करके वही दिखाया
भक्तों ने शीश झुकाया तेरे मंदिर बीच बीचाले
हुई जय जयकार जगत में
 
लगे भगत करन तेरी भक्ति मंदिर के बने परहरी
इंसाफ करण ने तेरी, फिर लागन लगी कचहरी
प्रजा लगी भरण जलहरी, सब दुनिया के रखवाले
हुई जय जयकार जगत में
 
उस ब्राह्मण के जीवन की थी अंत घड़ी जब आई
थे लालू और भाव सिंह दोनों मां जाए भाई
दिए विप्र ने भगत बनाई खुद हो गए राम हवाले
हुई जय जयकार जगत में
 
कह प्रेम सिंह आगे का हम फिर उपदेश करेंगे
मत कवर सिंह घबरावे कथा पूरी शेष कहेंगे
विक्रम आदेश करेंगे तेरे सेवक भोले भाले
हुई जय जयकार जगत में

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