हो... भगत रोया जंगल मै

 जिसके रोये सै नाग लहराय

हो  भगत रोया जंगल मै

 

हॉ विशियर है नाग मणि को

खो देगा खेल बनि को

अब ना है दोष धनि का रे बोलो हरे

अर असल ये समझो आज रे भैया

रही खुली रे मौत ललकार

हो भगत रोया जंगल मै

 

हॉ जब गोदी ले पुचकारा

अरे छाती से तुरत लगाया

तू कैसे आज घबराया रे बोलो हरे

अर मै हू संग तेरे तो रे भैया अब

मत ना माने हार

हो  भगत रोया जंगल मै

 

भगता की रै धीर बँधाई

तू मत रोवे रे बलदाई

जा बैठ यहीं पै भाई रे बोलो हरे

अर तुझको सभी असीस मिलै तू

मत ना रे धक्के खाए

हो भगत रोया जंगल मै

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