कब आओगे मोहन दरबार सजाया है

 कब आओगे मोहन दरबार सजाया है
बाबा तेरी खोली में दरबार सजाया है
 
बाबा दुख दुख लिख रहे मेरी किस्मत मारी में
बाबा अलझ-अलझ फट गया मेरे कपड़े झाड़ी
में अलवर की पहाड़ी में स्थान बनाया है
कब आओगे मोहन दरबार सजाया है
 
तेरी भक्ति में बैठे बाबा रोशन जोत जला
खड़ताल मंजीरे ले कोई बजा रहा तबला
तेरी शक्ति का जलवा कण-कण में समाया है
बाबा तेरी खोली में दरबार सजाया है
 
कहने को तो बाबाजी ना तू मंगता भिकारी है
दातार तू ही सबका मोहन तेरी लीला न्यारी है
तेरा जग यह पुजारी है तू ही सबका रख वाली है
बाबा तेरी खोली में दरबार सजाया है
 
ऊंचे स्वर में गाता तेरे भजन सांवरिया है
यशपाल कवि गाता बाबा जी तेरे शरण सांवरिया है
छोटी सी उमरिया में बड़ा नाम कमाया है
बाबा तेरी खोली में दरबार सजाया है

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