ऐसी भी क्या खता हुई जो तुमने मुखड़ा मोड़ लिया

 दो ही वक्त गुजरे हैं जिंदगी में खराब

एक कन्हैया तेरे आने से पहले

और एक कन्हैया तेरे जाने के बाद

 

ऐसी भी क्या खता हुई जो तुमने मुखड़ा मोड़ लिया

तू क्या जाने सांवरिया तेरे लिए जमाना छोड़ दिया

 

कल तक तेरी बंसी कान्हा राधा राधा कहती थी

बनकर बांसुरी राधा कान्हा तेरे होठों पर रहती थी

फूल प्रीत का सांवरिया क्यों अपने हाथ मरोड़ दिया

तू क्या जाने सांवरिया तेरे लिए जमाना छोड़ दिया

 

तू जाकर वापस नहीं आया और मैं कान्हा गई नहीं

तू हरजाई भूल गया मेरे दिल से यादें गई नहीं

मैं बैठी जमुना के तट पर तेरी यादों ने झकझोर दिया

तू क्या जाने सांवरिया तेरे लिए जमाना छोड़ दिया

 

तेरे लिए यह जग छोड़ा तू मुझको छोड़ गया कान्हा

धन माया और तख़्त ताज को तूने तो सब कुछ माना

प्यार मेरा पानी का बुलबुला तू हरजाई फोड़ गया

तू क्या जाने सांवरिया तेरे लिए जमाना छोड़ दिया

 

मेरी अखियां रोवे कान्हा तू अखियां बंद कर सोता है

गुजरा जमाना आया है क्यों गौतम भाटी रोता है

किसके पीछे भागे पगले समय रुका ना दौड़ गया

तू क्या जाने सांवरिया तेरे लिए जमाना छोड़ दिया

Comments