मै भरन गयी थी जल नीर राम की सू

 मै भरन गयी थी जल नीर राम की सू
जमना जी के तीर राम की सू 

मटकी महारी फोड़ दई भाज गयो नन्दलाल
बीस तै उल्हाने दिए कोन्या करा बंद लाल
घाघरे कै छींट लागी भीज गया कंद लाल
हो___ हुये कपड़े झीरम झीर राम की सू 
जमना जी के तीर राम की सू 

घाट पै झमेला हो ग्या कट्ठे हो गए नर नारी 
गाली देकै सामी बोल्या कांप गयी सब पनिहारी 
आगे आगे कृष्ण भाजा पाछै पाछे हम सारी
हो..... उड़ै कट्ठी हो गी बीर राम की सू 
जमना जी के तीर राम की सू 

हम तो न्यू ऐ सोचे जा सै और कोई गैर नहीं सै हे 
भाइया की सु इन बातां मै रहनी खैर नहीं सै हे 
म्हारी गैल्या बैर ल्या लिया और कोई शहर नहीं सै हे
हो......  अरि हम गुर्जर तम अहीर राम की सू 
जमना जी के तीर राम की सू 

मान सिंह नै पूछ लिए नहीं सहम लड़ाई हो ज्यागी
लख्मीचंद नै पूछ लिए नहीं घणी तबाही हो ज्यागी 
मांगेराम नै बूझ लिये उड़ै तुरंत सफाई हो ज्यागी 
हो.... हर वारी बनै फ़क़ीर राम की सू 
जमना जी के तीर राम की सू

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