बालक बाट देखते होंगे, मै कह कै भी ना आया हो

इब तै आज्ञा दे जाने की, मेरी आनंद हो गी काया

बालक बाट देखते होंगे, मै कह कै भी ना आया हो.....


परम धाम मै भी ना पावै मन्नै जो आनंद पा लिया

तेरे दर्शन करकै इशा हो गया जणू चारो धाम नाहा लिया

अर.. जैसा भोजन आज खा लिया, इशा जिंदगी भर ना खाया

बालक बाट देखते होंगे....


इब तै आगे किसे बात पै, ना अपवाद करूं 

जिंदगी भर तक भूलूँ कोन्या हरदम याद करूं

उस मालिक का धन्यवाद् करूँ , जिसनै यो जोग मिला या  

बालक बाट देखते होंगे....


नहीं जगत मै धन दूजा कोई सच्चे मिन्तर जैसा

किसे समय मै वो ही मिन्तर हो जा ता हर जैसा

मै समझू अपने घर जैसा न्यूए आ गया बिना बुलाया 

बालक बाट देखते होंगे....


सच बुझै तै जगन्नाथ एक पाप था मेरे मन मै

कदै भूल गया हो नहीं पिछाणै आया सू घने दिन मै

दिखे जैसा था तू बालकपन मै, मन्नै आज भी वैसा ए पाया

बालक बाट देखते होंगे....

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