तेरी दुनिया मै, जो भी चला आता यहाँ से नहीं जाना चाहता

तेरी दुनिया मै, जो भी चला आता 

यहाँ से नहीं जाना चाह ता


रात दिन जूझ रहे संकट गहरो से 

बुझ लो कोढ़ी कंगले गूंगे और बहरो से 

इन पैरो से..... चला नहीं जाता 

पर यहाँ से नहीं जाना चाह ता


पड़े पड़े कूले जा सै रात दिन बीमारी मै

कसर नहीं छोड़ रहया अपनी होशियारी मै

ला चारी मै.... कुछ कर भी नहीं पाता 

यहाँ से नहीं जाना चाहता


दुःख मै सा... रा... जनम गुजरता 

मर ने सै तो वो भी डरता

फिरता गलियों में.... धक्के खाता

यहाँ से नहीं जाना चाहता


चाल जगन्नाथ तेरा जहां वो ठिकाना है 

रोज रहन नै तेरा गांव समचाना सै

सबनै जाना है.... फिर तू क्यू घबराता 

यहाँ से नहीं जाना चाहता

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