या साड़ी किसकी जैमल कड़े तै मंगाई रै

या साड़ी किसकी जैमल कड़े तै मंगाई रै 

या साड़ी किसकी जैमल कड़े तै मंगाई


इस साड़ी के बांधन आली ब्रह्मा की ब्राह्मणी चहिये

इस साड़ी के बांधन आली इन्दर  की इन्द्राणी चहिये

इस साड़ी के बांधन आली किरशन की रुक्माणी चहिये

इस साड़ी के बांधन आली कामदेव की गोरी हो

इस साड़ी के बांधन आली हिमाचल की छोरी हो

इस साड़ी के बांधन आली रावण की मंदोदरी हो। .. २ 

इस साड़ी के बंधन आली हूर सुरग तै आई रै 

या साड़ी किसकी जैमल कड़े तै मंगाई


साड़ी के म्हा कोयल बन रह्यी बोल रही बार बार

पपहैया चकोर मोर चहकने नै बैठे त्यार

रीछ बघेरे साड़ी पर कै मृगा की बनाई डार

बीच मै भारत का नक्शा सूबे वाइज बना हुया

तागड़ी मै चक्रव्यूह उस कारीगर का चिना हुया

दरवाजे पै अभिमन्यु शस्तर लेके तना हुया .. २ 

एक ओड नै, द्रोणचारी जा था करण लड़ाई रै 

या साड़ी किसकी जैमल कड़े तै मंगाई


कारीगर की कारीगरी रेशमी बनाये फूल 

गेंदा और चमेली चंपा खसबोई मै रहे टूल 

भवरे हांडै सैल करते डालिया पै रहे झूल

साड़ी के मैं तोता मैना आपस के म्ह करते बात

अंगूरा के गुच्छे लटकै चोंच मारें एक साथ

झमा झम हो रही जन तारे टूटें आधी रात

इस साड़ी नै मेरी जान काढ़ ली धोकै कड़े रै सुखाई रै 

या साड़ी किसकी जैमल कड़े तै मंगाई


न्यू तै मै भी जान गया मेरा टक्कर मै शरीर आग्या

आया था मै दावत खाने मेरा चक्कर मै शरीर आग्या

मरकै पैंडा छूटेगा मेरा चक्कर मै शरीर आग्या

52 भैरो 56 कल्वे साड़ी की किनारी पर कै 

मेड़ते मै लूट लिया इश्क़ की बीमारी करके 

मांगेराम भेद पटे ना कोण सै अटारी पर कै

एक आधी पै  नजर पड़ी या घुमै कोण लुगाई रै

या साड़ी किसकी जैमल कड़े तै मंगाई

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