जमना पार रोज का जाना मै दूंगी नंद के घरा उल्हाना

जमना पार रोज का जाना मै दूंगी नंद के घरा उल्हाना

तेरी तरवा दयूंगी खाल नै 

हेरेरे तम आती जाती छेड़ो नन्द के लाल नै


आगया घेर खड़ा होग्या तेरा किरशन तै बेईमाना 

युग युग मै अवतार धारता जाणे जगत ज़माना

हां मारु ठीक निशाना तेरै ऐसा क्यू जाल मेरे पै गेरै

तेरे तोड़ बगा दयू जाल नै 

हेरेरे हम जाने सै मुरारी तेरी चाल नै


मथुरा के म्ह दही रे खानिये वै के मानस न्यारे

अंधकवंशी वृष्णिवंशी वै भी मानस म्हारे

थारे देखू रोज अलझेड़े मारो जमना जी पै गेडे 

थारे काट बगा दयू खाल नै 

हेरेरे हम जाने सै मुरारी तेरी चाल नै


बीर परायी छेडनिया का हो जग मै मुँह काला

मै किरशन बणकै आ रह्या सूं और हूँ सबका रखवाला

हो ताला तोड़ बढूं थारे घर मै रुक्का पड़ जा देश नगर मै

थारे बाहर बगा दयूंगा थाल नै 

हेरेरे हम जाने सै मुरारी तेरी चाल नै


कंश अधर्मी मरे बिना ना पिऊ ठंडा पानी

दही बेच कै करै गुजारा या सै राम कहानी

जानी लख्मीचंद मुरारी बन रह्या मांगेराम खिलारी 

गिनता जमना जी तेरी झाल नै

हेरेरे हम जाने सै मुरारी तेरी चाल नै

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