श्री किरसन जी लगे सुनावन गीता का उपदेश

गांडीव गेर दिया अर्जुन नै हुआ पागल आला भेष

श्री किरसन जी लगे सुनावन गीता का उपदेश


ना कोई किसी का बाप और भाई ना कोई मित्तर प्यारा

ना कोई किसी का चाचा ताऊ ना कोई और सहारा

दुनिया है दो दिन का मेला कोई आ रह्या कोई जा रह्या

कोई योगी कोई भोगी बणकै अपना फर्ज निभा रह्या

नाशवान संसार यो अर्जुन नहीं बचै कुछ शेष

श्री किरसन जी लगे सुनावन गीता का उपदेश


मृत्यु निश्चित है उसकी यहाँ जिसनै भी जनम लिया है

पैदा होकै सदा सदा न्यू जग मै कोण जिया सै

आत्मा है अजर अमर जिसनै भी ध्यान किया है

आत्मा के दान का जिसनै भी परण लिया है

मोक्ष की राही मिलजा उसनै कट जा सभी कलेश

श्री किरसन जी लगे सुनावन गीता का उपदेश


दुःख सुख नै एकसार जानता वो मानस बड़ा धीर हो सै

विषय वासना काबू करले मौज मै उसका शरीर हो सै

झूट की ना सत्ता होती सत का नहीं आखीर हो सै

आत्मा कदे मरै नहीं बस बदलना शरीर हो सै

जल अग्नि वायु तक भी उसे नहीं लगन दें ठेस 

श्री किरसन जी लगे सुनावन गीता का उपदेश


स्थिर बुद्धि हो उस नर की जो कामना का त्याग करै

रणधीर शर्मा कष्ट मिटै जो परमेश्वर का ध्यान धरै

आत्म देह मै जनम धार कै, करम करे बिन नहीं सरै 

आत्मा परमात्मा हो काहे तै भी नहीं मरै

अस्तर सस्तर काट सकै ना चालै ना कोई पेश 

श्री किरसन जी लगे सुनावन गीता का उपदेश

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