उड़ चला हवा में, मेरा बाबा मोहन राम

                                                         भजन


बाबाजी ने चढ़ घोड़े पे, जब खींची तुरंत लगाम रे 

उड़ चला हवा में, मेरा बाबा मोहन राम

 

डर के दहल गए नभ अम्बर

धरनी थर थर थरयायी 

आहट सुनके बादल गरजे

बिजली तड़ तड़ तड़ताई

दरिया नदी उफनती आयी

पर्वत से उठा तूफ़ान     उड़ चला हवा में…….

 

पहुंच गया मुगलो के बीच में

दल ने तलवार चलाई

भगदड़ मची दुष्ट संघारे

जब हा हा कार मचाई

जब छत्री ने करी चढ़ाई

सब छोड़ भागे संग्राम  उड़ चला…….

 

टेर सुनी खोली वाले ने

दी मोड़ दिशा घोड़े की

दुश्मन का कर दिया खात्मा

दी मार चढ़ा कोड़े की

दूनी बात करी घोड़े की

कर गया भगत का नाम       उड़ चला……………

 

कवी विजन की सुनके आजा

मेरा जीवन घोर अँधेरा

निर्बल हुआ शरीर फिकर मै

बस एक आसरा तेरा

मुनिराम ने तुझको टेरा

हुआ दुनिया मै सरनाम        उड़ चला ………. 


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