ज़रा इतना बता दे कान्हा तेरा रंग काला क्यूँ

ज़रा इतना बता दे कान्हा तेरा रंग काला क्यूँ

काला हो कर भी जग से निराला क्यूँ 


मैंने काली रात में जनम लिया

और काली गाय का दूध पिया

गाय का रंग काला इस लिए काला हूँ

ज़रा इतना बता दे कान्हा...


मैंने काले नाग को नाथ दिया

और काले नाग पे नाच किया

नागों का रंग काला इसलिए काला हूँ

ज़रा इतना बता दे कान्हा...


मुझे सखिया रोज़ बुलाती है

और माखन मिश्री खिलाती हैं

सखियों का मन काला इसलिए काला हूँ

ज़रा इतना बता दे कान्हा...


राधा नैनो में कजरा लगाती है

और पलको पे मुझको बिठाती है

काजल का रंग काला इसलिए काला हूँ

ज़रा इतना बता दे कान्हा...

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