बंशी की टेर सुनूंगी रे बाबाजी मै तो जोगन का भेस भरूंगी रे सावरिया मै तो

 

भजन


बंशी की टेर सुनूंगी रे बाबाजी मै तो

जोगन का भेस भरूंगी रे सावरिया मै तो

 

जब रे बाबाजी तोहे भूख लगेगी रे

मेवा और मिश्री बनूँगी रे सावरिया मै तो

 

जब रे बाबाजी तोहे प्यास लगेगी रे

गंगा और जमना बनूँगी रे सावरिया मै तो

 

जब रे बाबाजी तोहे नींद लगेगी रे…

मखमल का तकिया बनूँगी रे सावरिया मै तो

 

जब रे बाबाजी तोहे गर्मी लगेगी रे...

बिजली का पंखा बनूँगी रे सावरिया मै तो

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