चित्रकूट के घाट घाट पे शबरी देखे बाट राम मेरे आजाओ

चित्रकूट के घाट घाट पे शबरी देखे बाट 

राम मेरे आजाओ  


अपने राम को कहाँ मैं बिठाऊँ ...कहाँ मैं बिठाऊँ

टूटी फूटी खाट खाट पे

बिछा पुराना टाट

राम मेरे आजाओ

चित्रकूट के घाट...


अपने राम को क्या मैं खिलाऊँ ... क्या मैं खिलाऊँ

छोटे छोटे पेड़

पेड़ पे लगे सुनहरे बेर

राम मेरे आजाओ

चित्रकूट के घाट...


अपने राम को कैसे मैं रिझाऊँ .... कैसे मैं रिझाऊँ

दीन हीन मोहे जान ना कोई

भक्ति ना कोई ज्ञान

राम मेरे आजाओ

चित्रकूट के घाट....


अपने राम के चरण मैं पखारूँ ....चरण मैं पखारूँ

नैनं बहे है नीर नीर

मेरे सर का जैसे तीर

राम मेरे आजाओ

चित्रकूट के घाट...

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