गंगा के खड़े किनारे
भगवान मांग रहे नैया
मेरी सुन लो केवट भैया
तुम इधर ले आओ नैया
हम को.... जाना हैं उस पार......
भगवान मांग रहे नैया
तुम कहो कहा से आये
और किन मैया के जाए
और कौन हैं पिता तुम्हारे
भगवान मांग रहे नैया
हम अवध पुरी से आये
कौशल्या माँ के जाए
हम दशरथ के राज दुलारे
भगवान मांग रहे नैया
तुमने शिला से नाव बनाई
ऐसे चरण तुम्हारे रघुराई
मेरी डूब जाएगी नैया
भगवान मांग रहे नैया
श्री राम केवट से बोले
तू जल्दी से पग धोले
मत देर करो मेरे भैया....
भगवान मांग रहे नैया
पहले राम नाव में बैठे
फिर बैठी वो सीता मैया
फिर.... बैठे लक्ष्मण भैया...
भगवान मांग रहे नैया
फिर बोली सीता मैया
ले लो अपनी उतरैया
करो वेग पार ये नैया
भगवान मांग रहे नैया
तुम्हे हमने पार उतारा
स्वामी करना भव से पारा
तुम हो भव पार करैया
भगवान मांग रहे नैया
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