जय जय अंबे जगदंबे जय जय अंबे जगदंबे

 

जय जय अंबे जगदंबे

जय जय अंबे जगदंबे

जय जय अंबे जगदंबे

जय जय अंबे जगदंबे

 

नदी किनारे एक भवन मैया भीड़ भरी है भारी

आकर के मुझे दर्शन दे दो करके सिंह सवारी

जय जय अंबे जगदंबे

 

पूजा का मैं थाल सजा कर लाई तेरे द्वारे

धूप दीप और ध्वजा नारियल भोग धरे है न्यारे

जय जय अंबे जगदंबे

 

कागज की ऐक नाव बनाई छोड़ी गंगाजल में

धर्मी धर्मी पार उतर गए रह गए पापी जल मै

जय जय अंबे जगदंबे

 

महिमा तेरी बहुत बड़ी है जैसे पेड़ खजूर

चढ़ जाए सो मेवा पाए गिरे तो चकनाचूर

जय जय अंबे जगदंबे

 

मैया तेरे द्वारे मै तो नित उठ शीश झुकाऊं

दर्शन दे दो देवी मैया मै अपने घर जाऊं

जय जय अंबे जगदंबे

 

 

बोया पेड़ बाबुल का आम कहां से खाय

जैसा कर्म करोगे भैया वैसा ही फल पाए

जय जय अंबे जगदंबे

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