सुनो मेरे लक्ष्मण वीर
कठिन बनी का रहना
तुम मात पिता के प्यारे
सब देवों के उजियारे
रोये रोये थके शरीर
मेरे भैया का रोये रोये थके शरीर
कठिन बनी
यहाँ फूल सेज पै सोवै
वहाँ धूप देख के रोवै
काला पड़े शरीर
मेरे भैया का काला पड़े शरीर
कठिन बनीं
तेरे पग मै कांटा लागे
तुझे याद अयोध्या आवै
नैनन भर आयो नीर
मेरे भैया के नैनन भर आये नीर
कठिन बनीं
जब वन मै शेर दहाड़े
गश खा के तू गिर जावे
थर थर कापे शरीर
मेरे भैया का थर थर कापे शरीर
कठिन बनीं………….
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