मन्नै बहुत करे पुन दान कंकरी धायी
एक बेटे कारण भरती फिरुँ तबाही
सुबह शाम उठकै घर के देवता नहवाया करती
साधु और सन्यासी चींटी सैकड़ों जिमाया करती
गऊमाता की पूजा करके पाछै भोजन खाया करती-२
सर्व व्यापी अन्तर्यामी कृष्ण का किया था जाप
शंकर जी की पूजा करी दूर नहीं हुए पाप
उमा पति प्रसन्न होंगे दुखियारी करी ना माफ़-२
मैंने पत्थर बेल एक सौ एक चढ़ाई
एक बेटे कारण….........
तुगलाबाद गुड़ गामा बेरी और कलकत्ता गई
वैष्णों के दर्शन खातर बहुत घणी विपदा सही
मैया की गुफ़ा ना पाई आत्मा तड़फती रही-२
काशी और कश्मीर गई भगती से किया था जाप
घूमती हुई मै बेबे जाके पहुँची हरिद्वार
गंगा मै असनान किया सूरज को दई थी धार-२
मै गई सिकरी, मैं बांटे पान मिठाई
एक बेटे कारण…………
शाकुंभरी सै आई दिल्ली, जमना के गयी थी तीर
भोत सी माँ रोती देखी बैठी देखी मन्नै बीर
तारके मन्नै भी गेरा बाबा के चरणों मै चीर-२
कई मील पैदल चली सोचा नहीं अपना गात
चोतरा सकेरा मन्नै बाबाजी के जोड़े हाथ-२
आई दोज मै तो करती जोहड़ छटाई
एक बेटे कारण…………
दिल्ली टेशन जाके टिकट हेड़ा की कटाई मन्नै
टेशन ऊपर आके सुरती पाबले की लाई मन्नै
बहम की दवाई सुख पाल नै बताई मन्नै-२
आत्मपुरी का डेरा वहां करके विश्वास देखा
कवियों की कथना का बेबे होता छन्द पास देखा
भोले की लट्टा मै नहाता दादा शंकर दास देखा-२
वो धर्मवीर मत मंद करै कविताई
एक बेटे कारण………….
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