श्याम सुन्दर से सुन री ऐ मेरी सखी
क्या पता थी मुलाकात हो जायगी
लेके गगरी चली थी मै पनिया भरण
क्या खबर थी वहाँ बात हो जाएगी
इकली जाती सखी ऐसा पीछा किया
मटकी पटकी मेरा थाम दामण लिया
होश सब उड़ गए और मै घबरा गयी
क्या खबर थी वहाँ घात हो जाएगी
श्याम सुन्दर से सुन री ऐ मेरी सखी
क्या पता थी मुलाकात हो जायगी
मस्त मौसम भी था खुला सीना भी था
मेरे गोरे बदन पे पसीना भी था
घटा घिर छा गयी और मै घबरा गयी
क्या खबर थी के बरसात हो जाएगी
क्या पता थी मुलाकात हो जायगी
ऐसा झटका दिया दीन्हि मटकी पटक
कस लयी बाँह में गयी चुड़ी चटक
होश सब उड़ गये और मै शर्मा गयी
क्या खबर थी वहाँ रात हो जाएगी
श्याम सुन्दर से सुन री ऐ मेरी सखी
क्या पता थी मुलाकात हो जायगी
उसने मुरली बजा यी बड़ी तान से
हाय नस नस में मेरे समा वो गयी
होश भूली मै तन का नहीं कुछ पता
मेरी बैरिन मुरलिया ही हो जाएगी
श्याम सुन्दर से सुन री ऐ मेरी सखी
क्या पता थी मुलाकात हो जायगी
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