भजन
जब तेरी डोली उठा ली जायेगी
बिन मुहूरत ये उठा ली जायेगी।
1)-बाँध कर मुटठी जगत में आया था
संग मैं कुछ ना तू लेकर आया था
मुटठी भी खाली करा ली जायेगी।
2)-ऐ मुसाफिर क्यों अकड़ता तू यहाँ
ये मिला तुझको किराये का मकां
कोठरी खाली करा ली जायेगी।
3)-जर सिकंदर का पड़ा यहाँ रह गया
मरते दम लुकमा भी ये कह कर गया
ये घड़ी हरगिज़ न टाली जायेगी।
4)-चार कन्धों पर ए नर तू जायेगा
कोई न साथी तेरा साथ निभायेगा
आग जब तन मैं लगा दी जायेगी।
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