तर्ज : हनुमत डटे रहो आसान पर जब तक कथा राम की होय
हंसा निकल गयो पिंजरे से
खाली पड़ी रही तस्वीर ..............
जब यमदूत लेन को आये, नैक धरे न धीर
मार के सोटा प्राण निकालें,
बहे नैनो से नीर
हंसा निकल गयो पिंजरे से..........
बहुत मनाये देवी देवता, बहुत मनाये पीर
अंत समय कोई काम ना आवै
जाना पड़ा अखीर
हंसा निकल गयो पिंजरे से........
कोई रोवे कोई मल-मल धोवे, कोई उढावे चीर
चार जने जब मिलकर ले गये,
ले गये मरघट तीर
हंसा निकल गयो पिंजरे से.......
भाग कर्म के कोई ना जाने, संग चले न शरीर
ले मरघट में चिता जलावे
कह गये दास कबीर
हंसा निकल गयो पिंजरे से........
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