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जीना झूठा मरना सच्चा, ना मरने मै देरी सै

तेरी दुनिया मै, जो भी चला आता यहाँ से नहीं जाना चाहता

बालक बाट देखते होंगे, मै कह कै भी ना आया हो

मै भरन गयी थी जल नीर राम की सू

चरखले आळी, तेरा चरखा बोले ओम नाम, तू रट ले तुही तुही

Bhajan Sangrah

हो... भगत रोया जंगल मै

सभा मै मेरा, तुम्ही तो करोगे निस्तारा

भटियारी मन्नै नौकर करले कहीं मिलता ना रुजगार